लंदन। पाकिस्तान ने अमेरिका को इस बात की अनुमति दे रखी थी कि यदि पाकिस्तानी धरती पर अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के ठिकाने के बारे में पता चलता है तो अमेरिका एकतरफा कार्रवाई के लिए स्वतंत्र होगा। यह जानकारी मंगलवार को एक मीडिया रपट में सामने आई है।
एक दशक पहले हुए इस समझौते में यह भी तय हुआ था कि इस तरह की किसी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान सख्त विरोध जाहिर करेगा।
समाचार पत्र 'गार्जियन' ने लिखा है कि यह गोपनीय समझौता तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ और अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश के बीच 2001 में हुआ था। इस समझौते का 2008 में नवीनीकरण हुआ था।
मीडिया रपट में कार्यरत एवं कार्यमुक्त पाकिस्तानी व अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि यह समझौता तब हुआ था, जब लादेन 2001 के अंत में तोरा बोरा की पहाड़ियों से अमेरिकी बलों के हाथों से बच निकला था।
समझौते की शर्ते स्पष्ट थीं : पाकिस्तान लादेन, उसके सहायक अयमान अल-जवाहिरी, और अलकायदा के नम्बर तीन के खिलाफ पाकिस्तान के अंदर एकतरफा कार्रवाई करने की अमेरिकी बलों को अनुमति देगा। दोनों देश इस बात पर भी सहमत हुए थे कि बाद में इस्लामाबाद इस कार्रवाई पर कड़ा विरोध दर्ज कराएगा।
एक पूर्व वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी के हवाले से कहा गया है, "बुश और मुशर्रफ के बीच समझौता हुआ था कि यदि हमें लादेन के ठिकाने के बारे में पता चला, तो हम उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। पाकिस्तानी होहल्ला मचाएंगे लेकिन वे हमें रोकेंगे नहीं।"
पाकिस्तान के एबटाबाद शहर में कार्रवाई के बाद कुछ ऐसा ही हुआ। इस्लामाबाद ने कहा कि उसे कार्रवाई के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। मुशर्रफ, जो कि लंदन में फिलहाल निर्वासित जीवन बिता रहे हैं, ने भी इसे पाकिस्तान की सम्प्रभुता का उल्लंघन बताया।
मीडिया रपट में कहा गया है कि हो सकता है कि पाकिस्तान को इस कार्रवाई के बारे में सूचना न दी गई हो, लेकिन सैद्धांतिक रूप से वह इसके लिए राजी था।
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